सोमवार, 16 दिसंबर 2019

गाँधी दर्शन में मीडिया की भूमिका Role of media in Gandhi philosophy



सारांश (Abstracts)
महात्मा गांधी एक बहुआयामी व्यक्ति थे। वह राष्ट्रवादी और अंतरराष्ट्रीयवादी थे। एक राजनीतिक नेता और एक आध्यात्मिक गुरु एक लेखक, एक विचारक और एक कार्यकर्ता एक व्यक्ति जो भारत की परंपराओं और सभ्यता के साथ सहज है और फ़िर भी सामाजिक सुधार और परिवर्तन के लिए एक आतुर क्रांतिकारी हैं । इन सबसे ऊपर, वह भारत के सबसे उत्कृष्ट बुद्धिजीवी थे। उन्होंने हमें न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता प्रदान करने का नेतृत्व करने का प्रयास किया - बल्कि एक बेहतर भारत, एक अधिक राजसी भारत तथा एक समुदाय, धार्मिक, आर्थिक और यहां तक कि लैंगिक पूर्वाग्रहों से मुक्त समाज प्रदत्त करने का भी प्रयास किए। गांधी दर्शन लोक-केंद्रित है। यह आम नागरिकों, सामान्य परिवारों और स्वदेशी समुदायों के ज्ञान, संस्कृति, संसाधनों और जीवन प्रणालियों को संजोता है, पोषित करता है  और नवीनीकृत करता है। साथ ही, ये, सदियों से प्रकृति की अपनी सभी विविधता और जैव-विविधता के साथ, प्रकृति की गोद में रहते आए हैं। बोलीविया की ही तरह, हम भी भारत में स्वदेशी भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों के संरक्षण को बहुत महत्व देते हैं। महात्मा गांधी हमारे अतीत के केवल एक महान व्यक्ति नहीं हैं। वह हमारे आज के मार्गदर्शक है और हमारे कल के दीपस्तंभ है। हमारी घरेलू और विदेशी नीतियां, भारत की विकास और कूटनीति सबसे छोटे से गाँव लेकर वैश्विक गाँव तक पहुँचती हैं अतः कई मायनों में ये सारी नीतियां गाँधीवादी दर्शन में पाए जाते हैं। महात्मा गांधी ने हमें दो अहम अस्त्र प्रदान किए - सत्याग्रह और सर्वोदय।  गांधी दर्शन को मीडिया को यह बताने की आवश्यकता है कि उन्हें आम लोगों के बीच आज के  जो युवा नेतृत्व ही वो उस आधार को छोड़कर मीडिया की यह  भूमिका है कि जब वह उन चीजों को बताने की कोशिश करता है तो वहां पर one way communication गांधी के दर्शन को अलग - अलग तरीके से प्रेजेंट करने की जरूरत है। मीडिया के अनुसार गांधी दर्शन को आम जनता के बीच लाना चाहिए ।
  
प्रस्तावना (Introduction)
महात्मा गाँधी आधुनिक युग के ही नहीं, समूचे मानव इतिहास के असाधारण रूप से महान पुरुष थे. गाँधी का दर्शन समग्र जीवन के व्यवहर्ता थे। उनके लिए समूचा जीवन एक इकाई था राज्य, समाज अर्थ परिवार शिक्षा ये सब उस इकाई के विभिन्न अंग थे गाँधी दर्शन समग्र जीवन का दर्शन है । मीडिया के अनुसार ही गांधी दर्शन को उजागर किया जा सकता है, अगर इस तरह से अनेक पत्रकार अपना योगदान देते हैं तो कहीं न कहीं मिल का पत्थर साबित हो सकता है। गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे, उन्होंने कहा था कि सत्य और अहिंसा दोनों को मिलाकर आज देश की राजनीति को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।  गाँधी दर्शन व्यवहार और सिंद्धांत  का समन्वय है। मीडिया के अनुसार ही गांधी दर्शन को उजागर किया जा सकता है, अगर इस तरह से अनेक पत्रकार अपना योगदान देते हैं तो कहीं न कहीं मिल का पत्थर साबित हो सकता है। गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे, उन्होंने कहा था कि सत्य और अहिंसा दोनों को मिलाकर आज देश की राजनीति को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। गांधी दर्शन को मीडिया को यह बताने की आवश्यकता है कि उन्हें आम लोगों के बीच आज के  जो युवा नेतृत्व ही वो उस आधार को छोड़कर मीडिया की यह  भूमिका है कि जब वह उन चीजों को बताने की कोशिश करता है तो वहां पर one way communication गांधी के दर्शन को अलग - अलग तरीके से प्रेजेंट करने की जरूरत है। मीडिया के अनुसार गांधी दर्शन को आम जनता के बीच लाना चाहिए ।
साहित्य पुनरावलोकन  (Literature review)
गांधी दर्शन में मीडिया की भूमिका की जानने एवं समझने के लिए विभिन्न पुस्तकों और इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्रियों का अध्ययन किया गया है।
उद्देश्य (objective)
शोध के दृष्टिकोण से यह शोध प्रारूप अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।गांधी दर्शन को समझने के लिए मीडिया की भूमिका अत्यंत कारगर हो सकती है।
गांधी दर्शन में मीडिया की भूमिका विषय को निम्न उद्देश्यों के माध्यम से समझ सकते हैं।
1. ग़ांधी दर्शन में मीडिया की भूमिका के बारे में जानना।
2. विभिन्न पुस्तकों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित दर्शन के बारे में अध्ययन करना।
3. गांधी दर्शन को मीडिया के सहायता से जानकारी प्राप्त करना।
शोध की समस्या (The problem of the research)
आज के परिदृश्य में गांधी दर्शन में मीडिया की भूमिका शोध-विषय का चुनाव अपने आप में एक चुनौती है लेकिन उनके लिए, जो स्वतंत्र रूप से शोध करते हैं ।शोधकर्ता मीडिया संगठन से जुड़े होते हैं।
उपकल्पना (Hypothesis)
शोध प्रारूप के लिए उपकल्पना के रूप में निम्न तथ्य हैं।
1.गांधी दर्शन को युवाओं को समझने की बेहद आवश्यकता है।
2.मीडिया ने गांधी के दर्शन को आम लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है।
 महत्व  (Important)
महत्व की दृष्टि से शोध प्रारूप अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा इस शोध के माध्यम से गांधी दर्शन से गांधी दर्शन के बारे में और उसके महत्व को समझ पाएंगे।
शोध प्रविधि (research mythology)
प्रस्तावित शोध प्रविधि में मुख्यतः गुणात्मक प्रविधि का उपयोग किया जायेगा, इसके साथ ही अंतर्वस्तु विश्लेषण, अवलोकन, साक्षात्कार शोध प्रविधि का प्रयोग किया जायेगा ।
निष्कर्ष (conclusion)
प्रस्तुत शोध विषय में यह बताने का प्रयास किया है कि गांधी दर्शन को मीडिया के माध्यम से तरह से समझ सकते हैं। मीडिया बताती है कि गांधी स्वयं एक दर्शन रूप में हैं।  वह अपना सारा जीवन जनता के लिए न्यौछावर कर दिया, उन्होंने लोगों को स्वालंबन बनाने के लिए कितने-कितने आंदोलन किये । आज के परिवेश में युवाओं को मौका है कि वे गांधी को अपना आदर्श बनाने का सामाजिक परिवर्तन एवं राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान आज के युवा उनके दर्शन को अपनाकर अपने व्यक्तित्व एवं राष्ट्र के विकास में अपना पूर्ण योगदान दे सकते हैं। 
सन्दर्भ - सूची (Bibliography)

https://mea.gov.in › Speeches-Statements-hi › Address[1]
मिश्रा डॉ. एम. के. , दाधीच डॉ. कमल (2011) गांधी दर्शन, प्रकाशक : अर्जुन पुब्लिशिंग हाउस नई दिल्ली -110002 
मिश्रा डॉ. एम. के. , दाधीच डॉ. कमल (2011) गांधी दर्शन प्रकाशक : अर्जुन पुब्लिशिंग हाउस नई दिल्ली -110002
रोलां रोमां , (2008), महात्मा गांधी जीवन और दर्शन, प्रकाशक: लोकभारती इलाहाबाद-1  

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