कलाकृतियों को संभालने की जरूरत


चित्र चाहे कैनवास पर हो या कागज पर हो । चाहे वह ऑयल कलर्स हो या जलरंगों, एक्रिलिक, पैस्टल से बना हो या पेंसिल से , उसे कई प्रकार से सुरक्षित रखने की जरूरत होती है।उसे छूने की मनाही होती है। जरूरत के अनुसार उसे फ्रेम में बांधा जाता है। धूप - पानी हवा से बचाया जाता है।तेज बल्बों की रोशनी से दूर रखा जाता है।उसे दीवार पर सही तरीके से टांगा जाता है। ये सभी सावधानी बरतनी चाहिए। इस सावधानी का नतीजा यह होगा कि हम पांच या छः शताब्दी तक कलाकृतियों को सुरक्षित देख पा रहे हैं । अगर यह सावधानी नही बरती गई, तो वहां हजारों की संख्या में कलाकृतियां नष्ट हो जाती हैं।आज परिवेश में इन्हें सुरक्षित रखने से ही कला-संग्रहालयों की स्थापना हुई है। कला प्रेमियों ने चित्रों की प्रदर्शनी के बारे में सोचा है।कलाकारों और शोधकर्ताओं ने इस पर बाकायदा काम किया है, की किस विधि से, कौन - सी सामग्री बरती जाए कि चित्र लंबे समय दीर्घायु रहे। वह कलाकार के जाने के बाद भी हजारों वर्षों तक जीवित रहें।
इन सभी कलाकृतियों के संग्रहालय बनाये गये हैं , जिन्हें देखने के लिए हजारों की संख्या में रोज कलाप्रेमी दर्शक जुटते हैं।इसलिए पूर्व धरोहर को बचा कर रखने की जरूरत है।दिग्गज कलाप्रेमी राय कृष्णदास, श्याम सुंदरदास और महावीर प्रसाद द्विवेदी के प्रयासों से भारत कला भवन (वाराणसी) बना, उन्हीं के कोशिशों से हमारी शैलियों के सैकड़ों चित्र सुरक्षित हो सके।इन्हीं के प्रयत्नों से हमारे राष्ट्रीय कला संग्रहालय (नई दिल्ली) में  भी चित्र शैलियों के एक से बढ़कर एक नमूने एकत्र हुए। अजंता की गुफाओं के अप्रितम चित्र नष्ट हो गए, पर अभी जो कुछ चित्र हैं उन्हें क्षति न पहुंचने देंगे।वहां विशेष प्रकार की मद्धिम प्रकाश व्यवस्था हुई कि राजा रवि वर्मा ,अमृता शेरगिल, रविंरनाथ टैगोर, नंदलाल बसु, जामिनि रॉय, एम. एफ. हुसैन समेत कुछ विशिष्ट कलाकारों के चित्र हैं।
इस संग्रहालय के पास सुरक्षा - कर्मियों की फौज होती है। और ये समस्त प्रकार की कला - विधाओं वाली कृतियों के लिए भी है, केवल चित्रों के लिए नहीं।मूर्तिकला भी इस दायरे में हैं।फर्क केवल इतना है कि वह पत्थर या धातु में बने मूर्तिशिल्पों के नष्ट होने का खतरा कम रहता है। इस सुरक्षा के पीछे कला के मूल्यवान होने का संदेश छिपा रहता है, संदेश यह भी है कि चित्रकला - मूर्तिकला जैसी कला एं आंखों के विशेष प्रयोग के लिए बनी हैं। जैसे कि कान संगीत सुनने के लिए बने हैं। उसका लाभ उठाइए।वह अपनी बात आंखों के जरिये आप तक पहुंचाएगी और आपको समृद्ध करेगी।

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