सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

केस स्टडी –उत्तराखंड और मुंबई विश्लेषण

केस स्टडी –उत्तराखंड और मुंबई
विश्लेषण

उत्तराखंडके चारधाम में यात्रियों को क्या पता था की 16 जून की रात उनके लिए कहर लेकरआ रही है . मौसम का बदलना आम बात है . कभी वहां बारिश होने लगती है तो कभी मौसम साफ हो जाता है . उस रात भी केदारनाथ के तीर्थयात्रियों को लगा की आसमान से बरस रहा पानी सामान्य बारिश है . उन्हें क्या पता था की यह पानी प्रलय का रूप लेकर उन्हें लील ले जायेगा .
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित चेदहम में से एक केदारनाथ मंदिर में 16 जून की रात बदल फटने और ग्लैशियर टूटने से पानी का सैलाब आ गया . पमी के साथ पहाड़ों के पत्थर भी बह रहे थे . मंदिर परिसर और हमेशा गुलजार रहने वाला रामबाड़ा इलाका पुती तरह से पानी और पत्थरों की चपेट में आ गए . उस समय वहां करीब 5 से 10  हजार लोग फंसे हुए थे .
पानी की चपेट में आस पास के निर्माणधीन मकान , होटल तिनकों की तरह पानी में बहने लगे . लोग जन बचने के लिए पहाड़ों और पेड़ों की तरफ भागने लगे . रुद्रप्रयाग जिले में 40 होटल सहित 73 इमारतें अलकनंदा नदी की उफनती धरा में बह गई .भरी भूस्खलन और सड़कें टूटनें के करण प्रसिध्द चारधाम यात्रा रोक दी गयी है . केदारनाथ , बद्रीनाथ , गंगोत्री और यमुनोत्री में कुल 71440 लोग फंसे हुए थे .
Ø केदारनाथ मंदिर परिसर का एक बड़ा हिस्सा पानी में बहा गया .
Ø सेना ने यात्रियों को बचने के लिए चलाया ‘ऑपरेशन गंगा’ .
Ø सरकार ने पहाड़ी पर फंसे लोगों को बचने के लिए हेलिकॉप्टर लगाए गए .
Ø उत्तराखंड में फंसे यात्रियों के लिए खाना , दवाएं और कम्बल का प्रबंध कराये गए .
केन्द्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने कहा की उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सुदूर इलाकों में खाना , दवाएं और कम्बल दिए जा रहे हैं . गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की है .
v लोकसभा में विपक्ष नेता सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर दावा किया जलप्रलय से हजारों लोग मरे गए . राहत कार्य का कोई पता नहीं है .
v सेना ऑपरेशन गंगा में सैट हजार लोगों को निकला .
v सेना के अनुसार करीब 18 हजार 500 तीर्थयात्री उत्तराखंड में फंसे हुए थे .
v केदारनाथ में जलजले से सोनबाज़ार झील में तब्दील हो गयी .
v टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह भी हेमकुंड साहिब की यात्रा के दौरान जोशीमठ में फंसे हुए थे .
19 जून 2013
उत्तराखंड में ए प्रलय को देखते हुए केंद्र सरकार 1000 करोड़ रूपए की राशि जरी की .
·       उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा केदारनाथ मंदिर सुरक्षित एक वर्ष तक दर्शनों पर प्रतिबन्ध .
·       प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उत्तराखंड में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई दौरा किया .
20 जून 2013 
आपदा में हजारों लोग बेघर , 60 गांव लापता .
§  जलजले में जिन्दा बचे लोगों ने कहा सामने तैर रही थीं अपनों की लान्शे .
§  प्राकृतिक आपदा से चार सड़क खण्डों पर 50 बड़े भूस्खलन .
§  रक्षा मंत्रालय ने सेना और नौसेना के 45 से ज्यादा हेलिकॉप्टर और 10,000 हजार सैनिकों को वर्षा से घिरे पर्वतीय राज्य में तैनात किया .
§  सेना ने बचाव कार्य तेज किया .
21 जून 2013 
Ø तीर्थयात्रियों से लूट और ,महिला तीर्थयात्रियों से दुष्कर्मकी अफवाहों से राहत कार्यों में अव्यवस्था .
Ø हरिद्वार में गंगा से निकले 48 शव .
Ø बचाव अभियान तेज , 40 हेलिकॉप्टर तैनात .
Ø उत्तराखंड के मंत्री बोले , कब्रिस्तान में बदला केदारनाथ .
Ø उत्तराखंड में सेना को और हेलिकॉप्टर की जरुरत .
Ø उत्तराखंड में फंसे लोगों के लिए नि:शुल्क रेल .
Ø तबाही के बाद बिछी लाशें सड़ने की कगार पर .
22 जून 2013
v उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा एक हजार को कर सकती है . मृतको की संख्या .
v मौसम ख़राब होने के बाद भी एयरफोर्स के जवान रहत कार्यों में डटे .
v किन्नौर में फंसे 200लोगों को निकला .
v गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तराखंड, किया हवाई दौरा .राज्य सरकार ने नहीं उतरने दिया हेलिकॉप्टर
v मोदी बोले, उत्तराखंड की विपदा राष्ट्रिय आपदा .
v दुखी परिजनों के लिए स्वयंसेवी बने सहारा .
v 17 विदेशी बच्ये गए, 1000फंसे तीर्थयात्री दिखे .
v तबाही का दर्द, साधुओं के वेश में शैतान .
v उत्तराखंड आपदा, मदद के आगे बढ़ाये राज्यों ने हाथ .
v सेना ने बच्या 18 हजार लोगों को .
v उत्तराखंड आपदा पीड़ितों से मनमाने दामों की वसूली .
v उत्तराखंड त्रासदी पर राष्ट्रपति से मिलीं उमा .
v उमा ने कहा धारा देवी का मंदिर हटाने से आई विपदा .
23 जून 2013
Ø मौसम ख़राब, उड़ान बंद, मुश्किल में 22 हजार तीर्थयात्री .
Ø केदारनाथ मंदिर में शिवलिंग तक मलबा .
Ø ख़राब मौसम से बचाव का काम रुका .
Ø 22 हजार तीर्थयात्रियों को बचने की चुनौती .
Ø उत्तराखंड में हवाई बचाव अभियान बहाल .
24 जून 2013
·       उत्तराखंड तबाही, सेना का बचाव कार्य जारी .
·       उत्तराखंड में लूटपाट, दुष्कर्म की अफवाहें फ़ैलने से अब नेपाली मजदूरों की आफत बढ़ी .
·       शवों के अंतिम संस्कार की योजना .
·       उत्तराखंड मंत्री ने किया 5000 लोगों के मरने का दावा .
·       केदारनाथ में तबाही के बीच लूटपाट .
·       केदारनाथ मंदिर का गर्भगृह और घंटा सुरक्षित .
·       उत्तराखंड में फिर बारिश, बढ़ी मुश्किल .
·       सोनिया, राहुल गांधी ने राहत सामग्री उत्तराखंड भेजी .
·       राहुल गांधी को 8 दिन बाद याद आया उत्तराखंड, पहुंचे दौरा करने .
·       उत्तराखंड आपदा, BSNL की फ्री सेवा .
·       किन्नौर से 14 अमेरिकन पर्यटकों को निकला .
25 जून 2013
§  उत्तराखंड में अभी भी फंसे हैं हजारों, बचाव कार्य में बाधा .
§  टिहरी में बादल फटे, पीड़ितों का सब्र टूटा, बढ़ी मुश्किल .
§  उत्तराखंड बाढ़ : अब लड़ाई भूख, ठण्ड, बीमारी और मौसम से .
§  सूर्य प्रयाग में नहीं सजेंगी अब देव डोलियां .
उत्तराखंडमें हुई प्राकृतिक आपदा के बाद मदद करना तो दूर की बात है अर्थात जो लोग मदद कर रहे हैं, कांग्रेसी सरकार उन पर ओछी राजनीति कर रही है . कभी मोदी के जाने पर बवाल तो कभी बहुगुणा की विफलताओं पर पर्दा डालने वाली सरकार राजनीति के लिए न जाने किस हद तक नीचे गिर सकती है, उसका अंदाजा लगाना नामुमकिन है .
सन1984  में इंदिरा गांधी हो आज 2013 में सोनिया गांधी, ओछी राजनीति करने में सास बहू का जवाब नहीं. दोनों ने ही हमेशा से ही राजनीति में मीडिया का सहारा लिया . 1984 में सिक्ख दंगों में जब समाचार पत्रों का पूरा फोकस दंगों के पीछे असल कारणों सहित जगदीश टाइटलर जैसे लोगों पर था तो सत्ता पलट के डर से हिंदुस्तान समाचार जैसे कई समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लगा दिया गया . लेकिन आज किसी खबरिया चैनल पर सेंसरशिप न लगने का कारण कारपोरेट मीडिया एवं उसका बिकाउ होना इस बात का सबूत है की मीडिया वही दिखाती है जो कांग्रेसी सरकार बोलती है . इतने दिनों से इस राहत के नाम सरकार कई बातें बोल रही है, पर सच्चाई तो उन लोगों से बयां हो रही है जो वहां प्रत्यक्ष भुगतभोगी है .
बिकाउ मीडिया मदद के नाम वो चार ट्रक जिस पर सोनिया सहित उसके बेटे के पोस्टर छपे हैं और हरी झंडी दिखाने वाली खबर दिन भर चलती है, पर वहां जान की बाजी लगाने वाले लोगों, चोरी एवं दुष्कर्म की घटना के बारे में बताने वालों की फुटेज काटती नजर आती है .
ऐसा नहीं है की देश के तमाम लोग हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं . पर मीडिया तो वहीँ हवाई फुटेज दिखाती है, जिसमें सोनिया और मनमोहन हवाई सर्वेक्षण कर रहे होते हैं . सोचने की बात है की हवाई सर्वेक्षण कितना हवा – हवाई होगा . जब मोदी वहां लोगों की मदद करने गए, तो इन्हीं लोगों ने राजनीति चालू कर दी और अचानक हवा-हवाई पुत्र राहुल सप्ताह भर बाद भारत में अपना जन्मदिन मनाने के बाद अवतरित हुए .
देश में कई संस्थाएं ऐसी भी हैं जो रहत का सामान पहुँचाने में मदद कर रही हैं ,पर मीडिया उसे जनता के सामने दिखाना उचित नहीं समझती . वहां चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी तक की मीडिया लोगों को ले जाने वाले हेलिकॉप्टरों पर मुक्त की सवारी करते हुए जगह घेरे बैठे नजर आते हैं कुछ लोगों ने प्राइवेट हेलिकॉप्टरों का सहारा लिया . फिर क्यों ये प्राइवेट हेलिकॉप्टर में बैठ रिपोर्टिंग करने के लिए तैयार नहीं .
वहींबात सरकार की से कीजाए तो वह चुनाव एवं जनता में मोदी की लोकप्रियता के करण मोदी के भय के भूत से इतना डरी हुई है की उसने कारपोरेट को सख्त हिदायद दे की मोदी एवं आरएसएस के स्वयंसेवकों द्वारा किये जानेवाले राहत की कोई फुटेज न दिखाई जाए, ये वही सरकार है जिसके नुमांइदें सोनिया के कहने से एक महीने की तनख्वाह तो मन मार दें देंगे पर इस आपदा को प्राकृतिक आपदा कहने में हजार बार सोचेंगे . सरकार जनता से अपील कर रही है की आर्थिक रूप से मदद की जाए पर सोचने वाली बात है की क्या मदद सिर्फ आर्थिक रूप से ही होती  है .
सरकारी बाबू से लेकर कर्मचारी तक प्रत्येक अपनी तनख्वाह में हमेशा राहत के नाम पर कुछ पैसा कटवाते ही हैं, तो फिर वो पैसे कहाँ गए .जहां तक प्रधानमंत्री रहत कोष की बात है तो इस राहत कोष में भी हम आप जैसे आम इन्सान की कमाई का कुछ अंश जमा होता है, फिर सरकार से लेकर प्रधानमंत्री तक इस राहत कोष का एलान के बाद क्यों वाह – वाही बटोरने पर लगे हुए हैं .
जहां तक मीडिया का सवाल है, इस समय मीडिया को लोगों को एकजूट करना चाहिए, विपरित इसके वो लोगों को बांटने का काम कर रही है . इस समय देश में हर धर्म, हर जाति के लोग एकजूट हो, मंदिरों और मस्जिदों में लोगों की सलामती की प्रार्थना कर रहे हैं, पर मीडिया उसे दिखाना उचित नहीं समझती . शायद वो नहीं चाहती कि हिन्दू और मुस्लिम कभी एक हों, उनके बीच पल रहे मतभेद समाप्त हों .
सरकार लोगों से आर्थिक सहायता की अपील कर रही है पर मैं मीडिया से अपील कर रहा हूं कि यह समय देश को एकसार करने का है न कि राजनीतिज्ञों की ओछी राजनीति से किसी पार्टी को फायदा दिलाने में मीडिया चाहे तो उत्तराखंड को पुर्नस्थापित करने में लोगों की मदद कर सकती है . 




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जनसंपर्क की अवधारणा क्षेत्र एवं कार्य

                                        जनसंपर्क की अवधारणा क्षेत्र एवं कार्य                                                           जनसंपर्क संचार की एक प्रक्रिया है ,   जिसमें जनता से संचार स्थापित किया जाता है। यह एक जटिल और विभिन्न क्षेत्रों की सम्मिश्रित प्रक्रिया है। इसमें प्रबंधन ,   मीडिया , संचार और मनोविज्ञान जैसे विषयों के सिद्धांत और व्यवहार शामिल है। जनसंपर्क की प्रक्रिया एक सुनिश्चित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए की जाती है ,   जो एक सही माध्यम के द्वारा जनता से संपर्क स्थापित कर अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सही दिशा में अग्रसर होने में सहायक होती है। जनसंपर्क ऐसी प्रक्रिया है ,   जो सम्पूर्ण सत्य एवं ज्ञान पर आधारित सूचनाओं के आदान - प्रदान के लिए की जाती हैं। जनसंपर्क दो शब्दों   ‘...

गाँधी जी की पत्रकारिता

गाँधी जी की पत्रकारिता आने वाली पीढियां शायद ही विश्वास करे कि गाँधी जैसा हाड़-मांस का पुतला कभी इस धरती पर हुआ होगा। - अल्बर्ट आइन्स्टीन अहिंसा के पथ-प्रदर्शक, सत्यनिष्ठ समाज सुधारक, महात्मा और राष्ट्रपिता के रूप में विश्व विख्यात गाँधी सबसे पहले कुशल पत्रकार थे। गाँधी की नजर में पत्रकारिता का उद्देश्य राष्ट्रीय और जनजागरण था। वह जनमानस की समस्याओं को मुख्यधारा की पत्रकारिता में रखने के प्रबल पक्षधर थे। पत्रकारिता उनके लिए व्यवसाय नहीं, बल्कि जनमत को प्रभावित करने का एक लक्ष्योन्मुखी प्रभावी माध्यम था। महात्मा गाँधी ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत पत्रकारिता से ही की थी। गाँधी ने पत्रकारिता में स्वतंत्र लेखन के माध्यम से प्रवेश किया था। बाद में साप्ताहिक पत्रों का संपादन किया। बीसवीं सदी के आरम्भ से लेकर स्वराजपूर्व के गाँधी युग तक पत्रकारिता का स्वर्णिम काल माना जाता है। इस युग की पत्रकारिता पर गाँधी जी की विशेष छाप रही। गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रम और असहयोग आन्दोलन के प्रचार के लिए देश भर में कई पत्रों का प्रकाशन शुरू हुआ। महात्मा गाँधी में सहज पत्रकार के गुण थे | पत्रकारिता उनक...

History of odiya journalism

History of odiya journalism As a media historian says: “If Gouri Shankar Ray was credited to have printed Odisha’s first newspaper Utkal Dipika in 1866, it was only in early 20th century that journalism got wider acceptance in Odisha following the publication of Asha”. Early history of Dainik Asha   In ancient times the region of Odisha was the center of the Kalinga kingdom, although it was temporarily conquered (c.250 B.C.) by Asoka and held for almost a century by the Mauryas. With the gradual decline of Kalinga, several Hindu dynasties arose and built temples at Bhubaneswar, Puri, and Konarak. After long resistance to the Muslims, the region was overcome (1568) by Afghan invaders and passed to the Mughal empire. After the fall of the Mughals, Odisha was divided between the Nawabs of Bengal and the Marathas. In 1803 it was conquered by the British1.   The Odia-speaking areas were then divided and tagged to the neighboring provinces of Bengal, Central ...