गाँधी जी की पत्रकारिता
गाँधी जी की पत्रकारिता आने वाली पीढियां शायद ही विश्वास करे कि गाँधी जैसा हाड़-मांस का पुतला कभी इस धरती पर हुआ होगा। - अल्बर्ट आइन्स्टीन अहिंसा के पथ-प्रदर्शक, सत्यनिष्ठ समाज सुधारक, महात्मा और राष्ट्रपिता के रूप में विश्व विख्यात गाँधी सबसे पहले कुशल पत्रकार थे। गाँधी की नजर में पत्रकारिता का उद्देश्य राष्ट्रीय और जनजागरण था। वह जनमानस की समस्याओं को मुख्यधारा की पत्रकारिता में रखने के प्रबल पक्षधर थे। पत्रकारिता उनके लिए व्यवसाय नहीं, बल्कि जनमत को प्रभावित करने का एक लक्ष्योन्मुखी प्रभावी माध्यम था। महात्मा गाँधी ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत पत्रकारिता से ही की थी। गाँधी ने पत्रकारिता में स्वतंत्र लेखन के माध्यम से प्रवेश किया था। बाद में साप्ताहिक पत्रों का संपादन किया। बीसवीं सदी के आरम्भ से लेकर स्वराजपूर्व के गाँधी युग तक पत्रकारिता का स्वर्णिम काल माना जाता है। इस युग की पत्रकारिता पर गाँधी जी की विशेष छाप रही। गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रम और असहयोग आन्दोलन के प्रचार के लिए देश भर में कई पत्रों का प्रकाशन शुरू हुआ। महात्मा गाँधी में सहज पत्रकार के गुण थे | पत्रकारिता उनक