रविवार, 13 अक्तूबर 2019

संचार शोध

संचार शोध 

संचार शोध में जिन संचार शास्त्री या प्रतिरूपों से मदद ली जाती है,उनमें बिल्वर श्रेम प्रमुख सिंद्धान्तकार हैं। बिल्वर श्रेम ने 1964 मास मीडिया एंड नेशनल डेवलोपमेन्ट में 1977 में बिग इंडिया और लिटिल मीडिया में भारत के विकास को सामने रखकर जनसंचार माध्यमों की विकास मूलक भूमिका को एक मुक्कमल आधार दिया।
हमारे यहां भूमिका की लेकर बहस होती रहीं है और शोध भी, नेहरू ने अपनी पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया में अपनी व्यक्तिगत विचार व्यक्त की है।और उन विचार पर बहुत से शोध किये गए हैं। तकनीक के विकास मूलक उपयोग और रचनात्मक विकास का सवाल भी मूलतः संचार माध्यमों से विचार मूलक शब्द जुड़ा हुआ है। भारत में रेडियो और टेलीविजन को लेकर दो विचार रहे हैं।एक के अनुसार  ये माध्यम शिक्षा और मनोरंजन के माध्यम हैं।दूसरे के अनुसार  रेडियो और टेलीविजन का विकास फालतू का विकास है। बिल्वर श्रेम ने रेडियो और टेलीविजन की विकास मूलक भूमिका सबसे पहले भारत को ही अपना उदाहरण बनाया।अगर हम बिल्वर श्रेम जैसे संचारकों को आधार माने तो संचार के क्षेत्र में क्या प्रश्न बन सकते हैं ।
शोध प्रश्न
1. किसी समाज में परिवर्तन के साथ संचार का क्या संबंध है?..
2. उत्तरोत्तर आधुनिक में संचार कैसे उत्पन्न होता है?..
3. विकास कार्यक्रम में अंतरवैयक्तिक संचार आम जनता से क्या प्रभाव है?.
4. आर्थिक और सामाजिक विकास सहयोग के लिए संचार माध्यम क्या कार्य कर सकते हैं?
5. विकास के विभिन्न चरणों में खड़े लोगों की जरूरतें क्या अलग अलग है?
6. विकासशील समाजों में कौनसी संचार रणनीतियां उपलब्ध हैं?
7. इन सारे प्रश्नों का जवाब बिल्वर श्रेम ने देते हुए स्पष्ट किया कि इनके जवाब संचारक के पास नहीं मिल सकता क्योंकि यह सवाल मुख्यतः आर्थिक एवं राजनीतिक सामाजिक से जुड़ा सवाल है ?...
संचार प्रक्रिया में कुछ बाते तो सामान्य हैं।जैसे  जहां कहीं भी परिवर्तन है, वहीं नई संचार क्रिया पैदा होती है।संचार प्रायः सभी समाजों में एक जैसी जरूरते पूरा करती है। चाहे वे समाज उत्तर आधुनिक हो या पूर्व आधुनिक वे उनके पर्यावरण को देखने में लोगों के बीच संवाद करने में समाज की अलग अलग प्रवृति होने के बावजूद संचार ये कार्य करते हैं। 1958 में डेनियल लर्नर ने अपने शोधों  के आधार पर संचार और विकास की अंतर क्रिया पर अपनी क्रांतिकारी अवधारणा प्रस्तुत की।
लर्नर का मानना था, जब किसी देश 10 प्रतिशत शहरीकरण हो जाता है, तब जाकर वहां साक्षरता में उन्नति होती है।
इसी तरह से माध्यम ही संदेश है।सिद्धान्त प्रस्तुत करने वाले मार्शल मैकलुहान संचार शोध के लिए एक आधार देते हैं। संदेश और माध्यम के बीच किसी भी शोध में मैकलुहान की अवधारणा एक कुंजी का कार्य करती है।
ज्ञान समस्या तब पैदा होती है, जब दर्शक टेलीविजन या सिनेमा या अन्य रेडियो से सबकुछ चाहने लगता है जो एक माध्यम के रूप में नहीं दे सकता। उदाहरण के लिए एक माध्यम के रूप टेलीविजन एक निश्चित प्रकृति हैं।उसी प्रकृति में वह संचालित करती रहती है।अब उस माध्यम को और उसके संदेश को क्या मानकर एक देखा जा सकता है या अलग-अलग।
किसी भी शोध में लॉसवेल के प्रतिरूप को लाया जाता है, उसमें श्रोता, एनालिसिस इंपैक्ट विश्लेषण प्रभाव, संपर्क सूत्र है।

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