बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

व्यंग्यचित्रों में देखेगी महात्मा गांधी के विचारों की प्रासंगिकता

लोग बड़े हर्षोल्लास के साथ महात्मा गांधी की 153वीं जयंती मनाई जाएगी। क्या? आपका तात्पर्य उस गांधी से है जिनकी जयंती पर हमें छुट्टी मिलती है और जिन्होंने हमें सत्य, नैतिकता और मूल्यों के बारे में शिक्षा दी? पर उन्होंने किया क्या ? प्रिय देशवासियो ! भारत की नई पीढ़ी महात्मा गांधी के बारे में किस तरह सोचती है, जिन्हें हम आदर से राष्ट्रपिता कहते हैं। रघुपति राघव राजा-राम, पतित पावन सीता-राम इन पंक्तियों के कानो तक पहुँचते ही गांधी के विचारों व देश की आजादी के लिए किए गए उनके प्रयासों की रूपरेखा आँखों के आगे घूमने लगती है। गांधी के  विचारों को कार्टूनों द्वारा देखने का प्रयास किया जा रहा है। जहां आप गांधी के 153वीं जयंती मनाने के साथ ही उनके विचारों की प्रासंगिकता व्यंग्यचित्र के माध्यम से देख पाएंगे, वर्तमान परिस्थितियों में नए कार्टूनिस्टों व गांधीवाद पर उनके नजरिए को भी समझ पाएंगे। बता दें कि गांधी के विचारों कि प्रासंगिकता व्यंग्यचित्रों में दिखने को मिलती है। गौरतलब है कि गांधी पूरे देश में सभी नगर निकायों, विभागों, संग्रहालयों सहित विभिन्न अकादमियों द्वारा गांधी कि 153वीं जयंती मनाने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। व्यंग्य-चित्रकार रंगा ने गांधी के विचारों की प्रासंगिकता को व्यंग्यचित्र के माध्यम से एक सूत्र में दिखाया है, सत्य, अहिंसा, देश-प्रेम, कर्तव्य एवं ईमानदारी को लेकर उन्होंने जो रेखाचित्र बनाए वे सर्वप्रिय हुए। गांधी की जीवन-शैली को जितने संक्षिप्त एवं सादगी के साथ रंगा ने प्रस्तुत कर दिया, आज विश्व में ऐसा कहीं और कोई उदाहरण नहीं मिलता। रंगा में एकल रेखाओं से किसी हस्ती के व्यक्तित्व को रेखांकित करने की कला जापानी शैली से मिलती-जुलती है, जिसे रंगा ने स्वयं स्वीकार किया था। रंगा अपने कार्टूनों में रंगों का प्रयोग कभी नहीं किया। गांधी-कार्टून की एक विशिष्टता यह भी रही कि सारी-की-सारी रेखाकृतियाँ गांधी को मुख्य पृष्ठभूमि को दर्शाती हैं, जो इस बात की तरफ संकेत करती हैं। जिस भाँति गांधी आपनी मान्यता के स्वराज्य के साथ चरखे का अमिट संबंध मानते थे, ठीक उसी भाँति भारतीय व्यंग्य चित्रकार ने गांधी और चरखे को एक-दूसरे का पर्याय हैं, उनके विचार आज अभी प्रासंगिक हैं और हमेशा प्रासंगिक रहेंगे।  



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